पटना: आज का समय ऐसा हो गया है कि बच्चे अब फिजिकल खेल-कूद से हट कर ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। इससे वो हमेशा कंप्यूटर या फिर मोबाइल से चिपके रहते हैं। दूसरी तरफ इसका बड़ा नुकसान भी सामने आ रहा है। अमेरिका जैसे देशों मे जहां यब कुछ अब डिजिटल हो गया है, वहां इसका सबसे ज्यादा नुकसान देखा जा रहा है। एक सर्वे में बच्चों को लेकर चौकाने वाला तथ्य सामने आया है।
लैपटॉप या फिर मोबाइल से हो सकती है आंखों की समस्या
जो बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय तक अपनी आंखों को स्क्रीन से चिपकाए रखते हैं, उनमें आंखों की समस्या सबसे ज्यादा हो रही है। इसका मुख्य कारण ये है कि उनकी आंखे शुष्क हो जाती हैं। आंखों में तनाव ज्यादा होने लगाता है। हाल फिलहाल में इसकी तादात ज्यादा ही बढ़ी है।
यह एक तथ्य है कि मायोपिया का एक विश्वव्यापी महामारी है, जिसे निकटता के रूप में भी जाना जाता है। 1971 से, अमेरिका में निकटता की घटनाओं की संख्या लगभग दोगुनी हो गई, जो 42 प्रतिशत हो गई। वहीं एशिया में, 90 प्रतिशत किशोर और वयस्क करीब-करीब हैं इस समस्या से जूझ रहे हैं।
एक नए अध्ययन से ये पता चला है कि ज्यादा से ज्यादा लोग फिलहाल देखने के निकटतम समस्या से जूझ रहे हैं। ये सिर्फ स्क्रीन पर काम करने से ही नहीं होता है बल्कि लगातार निकट से किताब पढ़ने से भी होता है। इससे आपकी आंखों को आराम नहीं मिलता है।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि निकटता में वृद्धि हर समय फोन पर ध्यान केंद्रित करने या आंखों के विकास को प्रभावित करने या उपरोक्त में से कोई भी प्रभावित करने के लिए हमारे सर्कडियन ताल के साथ बातचीत करने के कारण होता है। लेकिन वैज्ञानिक एक निश्चित उत्तर की तलाश लगातार करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि अधिकांश कंप्यूटर उपयोगकर्ता डिजिटल आंखों का अनुभव करते हैं। जब डिजिटल आंखों की बात आती है तो बच्चे वयस्कों से अलग नहीं होते हैं। लेकिन जब ये समस्या शुरू होती है तो उसके लक्षण कुछ ऐसे होते हैं, शुष्क आंखें, आंखों के तनाव, सिरदर्द, और धुंधला दिखाना आदि। ये सारी लक्षण आमतौर पर तो अस्थाई होते हैं लेकिन ये होते रहते हैं लगातार।
हमारा बिहार टीम