East Champaran: जहां चाह, वहां राह, बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी की रहने वाली ज़ैनब बेगम ने इस कहावत को सत्य कर दिखाया है। जैनब ने कोविड महामारी के साथ सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी। बेरोजगार होते हुए भी जैनब ने बहुत सीमित संसाधनों के साथ मशरूम की खेती शुरू की और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो गयीं। वह अब अन्य महिलाओं को सशक्त बनने में मदद कर रही हैं।
छोटे स्तर पर मशरूम की खेती शुरू करने वाली जैनब अब मशरूम चॉकलेट, पापड़ और अचार भी बेच रही हैं। 25 साल के इस महिला के लिए यह सब करना आसान नहीं था।
चार साल पहले, वह पटना चली गईं। स्नातक की डिग्री प्राप्त की और एक शैक्षिक परामर्श कंपनी के लिए काम करना शुरू किया। कुछ समय तक सब कुछ ठीक रहा। ज़ैनब के पति गांव में ही चीज़ों की देखभाल कर रहे थे और उनके पिता मुंबई में एक व्यवसाय चला रहे थे। लेकिन दुर्भाग्य से, लॉकडाउन की वजह से ज़ैनब की नौकरी चली गई और वे बेरोजगार हो गईं और उन्हें अपने गांव वापस लौटना पड़ा।
ज़ैनब ने बताया कि अपनी नवजात बेटी को गोद में लेकर, मैं रोजगार की तलाश में पटना, मुजफ्फरपुर गई, लेकिन सब व्यर्थ रहा। मेहनत के बावजूद कुछ भी हासिल नहीं हुआ। उस दौरान मुझे मशरूम की खेती करने की सलाह दी गई।”
ज़ैनब को मशरूम की खेती के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने YouTube का सहारा लिया और जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर और बागवानी मिशन से भी टिप्स लिए। फिर उन्होंने आखिरकार मशरूम की खेती करने का मन बना लिया।
जैनब ने दूधिया मशरूम के 2 किलो बीज खरीदे और दस बोरियों के साथ खेती शुरू की। धीरे-धीरे उनका कारोबार बढ़ता गया और आज वह 1,000 बोरियों के साथ खेती कर रही हैं और खुद उसकी मार्केटिंग भी कर रही हैं।
चार बहनों में सबसे बड़ी ज़ैनब कहती हैं कि उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा, उनके परिवार वालों ने उन्हें ज़्यादा बाहर नहीं जाने दिया, लेकिन अब वह अपने प्रयास की सफलता से खुश हैं।
वह कहती हैं कि सर्दियों के मौसम में मैं बहुत सारे लोगों को रोजगार देती हूं। इसके अलावा, मैं कई युवाओं और महिलाओं को मशरूम की खेती में प्रशिक्षित कर रही हूं।
वह कहती हैं कि अभी वह अपने घरेलू संसाधनों से सभी मशरूम आधारित उत्पाद बना रही हैं, क्योंकि मशीनों को खरीदने के लिए भारी मात्रा में पैसों की आवश्यकता होती है। बागवानी मिशन के तहत जिला और राज्य स्तर पर कई पुरस्कार हासिल कर चुकी ज़ैनब अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहती हैं ताकि वह अधिक लोगों को रोजगार प्रदान कर सकें। फिलहाल उन्होंने एक बैंक से कर्ज का प्रस्ताव रखा है।
उनका कहना है कि उनके द्वारा बनाई गई मशरूम चॉकलेट की बाजार में भारी मांग है। वह 10,000 से अधिक चॉकलेट बेच चुकी हैं लेकिन उत्पाद की ब्रांडिंग और पैकेजिंग अभी बाकी है। वह कहती हैं कि क्षेत्र की कई लड़कियां इस व्यवसाय में शामिल होना चाहती हैं। उसकी सफलता और मेहनत से ग्रामीण भी खुश हैं। ज़ैनब गर्व के साथ कहती हैं कि उन्होंने केवल 400 रुपये से कारोबार शुरू किया, जो दो साल में 3 लाख रुपये का कारोबार बन गया है।