Patna: रोहतास-आरा-बक्सर जिलों की सीमा से सटा हुआ दिनारा विधानसभा सीट सूबे के हॉट सीटों में शुमार है। इसलिए क्योंकि एक ओर जहां जदयू के विधायक सह विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह तीसरी बार चुनाव जीतने के लिए प्रयासरत हैं तो दूसरी ओर 2015 में महज 2600 वोटों से चुनाव हारने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सह प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह भी यहां से लोजपा के टिकट पर मैदान में हैं। जबकि महागठबंधन की तरफ उतरे विजय मंडल ने भी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है।
पिछले विधानसभा चुनाव के मित्र व महागठबंधन के घटक दल राजद और जदयू इस बार आमने-सामने है। 2015 के विधानसभा चुनाव में जयकुमार सिंह महागठबंधन के उम्मीदवार थे तब उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह को महज 2600 वोटों से हराया था।लेकिन बदले समीकरण में कल के दोस्त आज विरोधी हो गए है।
इस बार जेडीयू और आरजेडी विरोधी हो गए है तो बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले राजेन्द्र सिंह ने बीजेपी से नाता तोड़कर लोजपा का झंडा थाम लिया है। दिनारा के सीट के लिए जेडीयू और बीजेपी में भी टसल हुआ था लेकिन सीट जेडीयू के पास गई और जयकुमार सिंह उम्मीदवार बने। जबकि बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के कारण 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार कहे जाने वाले राजेन्द्र सिंह ने इस बार पार्टी से ही नाता तोड़ दिया और एलजेपी में शामिल हो गए।
दिनारा के दंगल में मुख्य रूप से इस बार तीन पहलवान मैदान में हैं। एनडीए गठबंधन की तरफ से जेडीयू के जय कुमार सिंह जो लगातार तीसरी बार मैदान में है जबकि आरजेडी से विजय मंडल और एलजेपी की तरफ से राजेन्द्र सिंह। तीनो ही उम्मीदवार अपने क्षेत्र में खूब पसीना बहा रहे है।
एनएच 319 के किनारे खड़ी गाड़ियों पर एलजेपी का झंडा लगा था पूछने पर पता चला राजेन्द्र सिंह गांव में गए हैं। इसी बीच बाइक पर सवार राजेन्द्र सिंह गांव वालों से मिलकर आते दिखे। गाड़ी पर भले ही एलजेपी का नीला और लाल झंडा लगा हो लेकिन राजेन्द्र सिंह के गले में भगवा गमछा ही था। बाइक पर बैठे राजेन्द्र सिंह के साथ युवाओं की टीम थी। गांव-गांव का दौरा चल रहा है। जब राजेंद्र सिंह से पूछा गया कि बीजेपी से 35 साल पुराना नाता तोड़ मैदान में कैसा लग रहा है तो राजेन्द्र गमछे से चेहरा पोछते कहते हैं जनता को यही पसंद था, जनता के कहने पर मैदान में उतरे हैं। इस इलाके का विकास नहीं हुआ है। किसानों की समस्या है, युवाओं की समस्या है। इन्ही मुद्दों को लेकर उतरे हैं।
बातचीत के दौरान राजेन्द्र सिंह केंद्र सरकार की नई किसान नीतिः की बड़ाई करते हैं। कहते हैं इस नीति से किसानों को फायदा होगा। हालांकि एलजेपी को बीजेपी की बी टीम कहे जाने पर कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। जनता की डिमांड थी कि मैदान में उतरूं इसलिए उतरा हूं। राजेन्द्र सिंह बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। पूर्व में झारखंड में बीजेपी के संघटन महामंत्री भी रह चुके हैं।
दिनारा के ही नाटवार बाजार में मिलते हैं। नीतीश सरकार में मंत्री और दो बार के विधायक जय कुमार सिंह गाड़ियों के लंबे काफिले के बीच समर्थकों के साथ रोड शो कर रहे थे। बताते हैं कि वे एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार हैं गले मे बीजेपी का गमछा है। उन्हें बीजेपी का साथ प्राप्त है। जयकुमार सिंह के अनुसार, उनकी लड़ाई महागठबंधन उम्मीदवार से है। बीच में कौन है उन्हें नहीं पता। मतलब राजेन्द्र सिंह की चुनौती को वे दरकिनार करते हैं। जबकि महागठबंधन के उम्मीदवार विजय मंडल साफ तौर पर कहते हैं कि इस बार जनता परिवर्तन चाहती है और उनकी जीत तय है। वे जीतेंगे और तेजश्वी यादव सीएम बनेंगे।
नेताओ और उम्मीदवारों के अपने-अपने दावे हैं लेकिन इनसे इतर दिनारा के लोगों का कहना है कि इस बार लड़ाई त्रिकोणीय है। पिछले चुनाव में महज 2690 वोट से हारने वाले बीजेपी उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह एनडीए में रहते हुए कई बार सरकार की योजनाओं के खिलाफ आवाज उठाते रहे थे। लोगों का कहना है कि चुनाव हारने के बाद भी लगातार इलाके में सक्रिय रहे। इसलिए जीत उनकी होनी चाहिए। बिहार सरकार में मंत्री जय कुमार सिंह के बारे में लोगों की शिकायत है कि जो वादे उन्होंने किये थे, उसे पूरा नहीं किया। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इस बार आरजेडी को मौका मिलेगा। मतलब की तीन पहलवानों की मौजूदगी ने दिनारा के दंगल को काफी रोमांचक बना दिया है।
2015 में दिनारा से 17 प्रत्याशी थे मैदान में
2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से अलग हो जदयू ने राजद के साथ महागठबंधन बनाया था। 17 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया। इनमें15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। जदयू उम्मीदवार के रूप में जय कुमार सिंह 42.98 प्रतिशत मत यानी 64 हजार 699 वोट के साथ पहले स्थान पर थे। उन्होंने भाजपा के राजेंद्र सिंह को 2691 मतों से पराजित किया था। राजेंद्र सिंह को 41.19 प्रतिशत यानी 62 हजार 8 मत प्राप्त हुए थे।
परिसीमन के बाद विधायक ने बदला क्षेत्र
दिनारा के मौजूदा विधायक जय कुमार सिंह 2009 में हुए परिसीमन से पहले बिक्रमगंज से चुनाव जीते थे। लेकिन, जब परिसीमन में बिक्रमगंज संसदीय क्षेत्र और विधानसभा सीट को समाप्त कर दिया गया तो जय कुमार सिंह दिनारा से भाग्य आजमाने चले गये। वर्ष 2010 में राजद की सीता सुंदरी देवी को करीब 16000 के बड़े अंतर से हराकर जय कुमार सिंह जदयू आलाकमान के करीब हो गये। उन्हें सहकारिता मंत्री बनाया गया था। दो बार चुनाव जीतने वाले जय कुमार सिंह वर्तमान में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री हैं।
2009 के परिसीमन में बदल गया भूगोल
वर्ष 2009 के पूर्व दिनारा विधानसभा क्षेत्र बिक्रमगंज संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था पर 2009 में इसका भूगोल बदल गया। पूर्व में जहां इस विधानसभा में दिनारा के साथ कोचस-करगहर प्रखंड भी शामिल थे, वहीं परिसीमन ये दोनों प्रखंड इस सीट का हिस्सा नहीं रहे। वहीं सूर्यपुरा और दावथ प्रखंड को इसमें शामिल कर लिया गया। दिनारा के 22, सूर्यपूरा की पांच व दावथ कीनौ पंचायत दिनारा विस क्षेत्र में शामिल किये गये। अहम बात यह रही कि इस विस क्षेत्र को बिक्रमगंज संसदीय क्षेत्र (अब काराकाट) से हटा कर बक्सर लोकसभा सीट में शामिल कर दिया गया। पूर्व में पिछड़ा बहुल रहा दिनारा विस क्षेत्र अब सवर्ण बहुल हो गया है। पूर्व में रामधनी सिंह यहां से सर्वाधिक चार बार चुनाव जीत विधायक बने।
हमारा बिहार टीम