Patna: दुनिया के कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को यह सोचकर कभी इंजीनियरिंग नहीं पढ़ाते होंगे कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वो चपरासी की नौकरी करे। बिहार में इस वक़्त सरकारी नौकरी के लिए इतनी मारामारी है कि न केवल बीटेक की डिग्रीधारक बल्कि मास्टर डिग्री वाले इंजीनियर भी चपरासी, माली, दरबान और सफाईकर्मी बनने के लिए लाइन में लगे हुए हैं।
“इंजीनियर बन रहे हैं चपरासी” अगर इस लाइन को गूगल पर डाल कर सर्च करेंगे तो पता चलता है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत तमाम राज्यों का यही हाल है। फ़िलहाल इस वजह से सुर्खियों में बिहार है। बिहार विधानपरिषद में चपरासी बनने के लिए फोर्थ ग्रेड के कुल 96 पदों पर भर्ती चल रही है और इसके लिए दो लाख से भी अधिक आवेदन आए हैं।
आवेदकों में सैकड़ों उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास बीटेक और एमटेक की डिग्री है। हज़ारों ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो आईएएस और आईपीएस बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षाओं (प्रीलिम्स+मेन्स) को भी पास कर चुके हैं।
पहली बार इस विधानसभा चुनाव में मुद्दा रोजगार को बनाया गया। राजद ने अपनी सरकार बनने के बाद 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा किया था। बदले में बीजेपी ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया। अब बिहार में एनडीए की सरकार है। ऐसे में अब राजद बीजेपी से 19 लाख युवाओं को रोजगार देने की मांग कर रही है।
बिहार में बेरोजगारी अभी अपने चरम पर है। बिहार में बेरोजगारी 31.2% तक बढ़कर 46.6% तक चली गई है। अप्रैल 2020 तक के इस आंकड़े के बाद बिहार बेरोजगारी में तमिलनाडु और झारखंड के बाद देश के राज्यों में तीसरे स्थान पर है। बिहार की बेरोजगारी दर अभी देश के बेरोजगारी दर 23.5% से भी दोगुनी है। ऐसे में केंद्र या राज्य सरकार की तरफ़ से रोजगार को लेकर कोई ठोस योजना नहीं दिख रही है।
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