Patna: 14 बार नेशनल और 12 बार स्टेट में गोल्ड मेडल जीत कर बिहार और कैमूर का नाम रौशन कर चुकी दंगल गर्ल अन्नू गुप्ता इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं। आपको बता दें कि अन्नु गुप्ता ‘बिहार कुमारी’ का खिताब जीत चुकी हैं। इसके अलावा उन्हें “कैमूर केसरी” के उपाधि से भी नवाजा जा चुका है। साथ ही खिलाड़ी के साथ-साथ वे दो बार बिहार के कोच के तौर पर भी सेवा दे चुकी हैं।
इतनी प्रतिभा होने के बावजूद आज अन्नू आर्थिक तंगी के कारण बदहाल जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। उनके पिता टीवी रोग से पीड़ित हैं। घर में बड़ा भाई है लेकिन वह परिवार से अलग रहता है। ऐसे में अन्नू अपनी छोटी बहन, मां और पिता के साथ रहती हैं। घर की सारी जिम्मेदारी अन्नू के कंधों पर ही है।
जानकारी के अनुसार, अन्नू के घर में किराना का छोटा सा दुकान है, जो उनकी छोटी बहन चलाती है। उससे घर का कुछ खर्च निकल पाता है। वहीं, अन्नू घर चलाने के लिए अपने घर के सामने सड़क पर पेट्रोल बेचती हैं। फिर भी पहलवानी लड़ने के लिए अपने डाइट का प्रबंध नहीं कर पाती हैं।
अन्नू गुप्ता ने बताया, “मुझे कुश्ती में रुचि थी, इसलिए मैंने कुश्ती को ही अपना कैरियर चुना। बहुत अच्छा कर भी रही थी। 14 बार नेशनल में पार्टिसिपेट किया। 12 बार स्टेट में गोल्ड मेडल जीती, दो बार बिहार से कोच बन कर गई लेकिन मुझे कहीं से भी कोई मदद नहीं मिली।”
इसके साथ ही उन्होंने बताया, “लड़कियों के लिए व्यायामशाला नहीं होने के बावजूद भी मैंने इतना कुछ किया। लेकिन अब सरकार से मदद की गुहार लगा रही हूं क्योंकि अगर सरकार मुझे सपोर्ट नहीं करेगी तो मेरी प्रतिभा यहीं पर दम तोड़ देगी। पिता टीवी के पेशेंट होने के कारण ज्यादा कुछ नहीं कर पाते हैं। घर का खर्च चलाने के लिए मैंने पेट्रोल बेचना शुरू किया। उससे भी जब पैसे नहीं मिले तो मैंने एक ब्यूटी पार्लर खोली लेकिन ग्रामीण इलाका होने के कारण वो भी नहीं चल पा रहा है। अब सारी उम्मीदें सरकार पर टिकी हैं।”
अन्नू की मां ने बताया, “बेटी बहुत होनहार है लेकिन हम लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि हम लोग हर चीज की व्यवस्था करा दें। अगर सरकार कुछ मदद करे तो यह बिहार का नाम रोशन कर सकती है।” वहीं, अन्नू के पिता ने बताया, “मैं टीवी का पेशेंट हूं। घर के लिए चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता। अब सरकार से ही मदद की उम्मीद है।”
बता दें, अन्नू गुप्ता ने कम उम्र में कुश्ती करना शुरू कर दिया था। इसमें अन्नू को परिवार का भी साथ मिला था। गांव में लड़कियों के लिए व्यामशाला नहीं होने के बावजूद, बिना व्यायामशाला के ही अन्नू खेतों में लड़कों के साथ दंगल का अभ्यास करती थीं। वे दो बार कोच बन कर बिहार का नेतृत्व कर चुकी हैं। 25 अगस्त 2019 को उसने “बिहार कुमारी” का भी खिताब जीता था। वहीं 29 फरवरी को उसे “कैमूर केसरी” के उपाधि से भी नवाजा गया।
हमारा बिहार टीम