पटना: बिहार के लिए 2020 बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बिहार में अब सियासत की बिसात बिछनी शुरू हो चुकी है। लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल के नेता भले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बोलें मगर महागठबंधन के दूसरे साथियों को ये मंजूर नहीं है। महागठबंधन के अन्दर मुख्यमंत्री का चेहरा कौन हो इसको लेकर मथन शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर हो एकमत नहीं
एक तरफ तो बताया जा रहा है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक है तो दूसरे तरफ महागठबंधन के उपेन्द्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी एक पाले में दिख रहे हैं और अब इनके साथ हो लिये शरद यादव। बताया जा रहा है कि इन लोगों की बैठक गुप्त रूप से पटना के होटल में हुई है।
इस बैठक के मायने तो कई हैं क्योंकि पिछ्ले कुछ दिनों से सियासी गलियारे में चर्चा ये है कि अब गठबंधन के ये तीन सहयोगी शरद यादव को बतौर मुख्यमंत्री चेहरा बनाना चाहते हैं और इस बैठक को जीतन राम मांझी ने सकारत्मक बताया और साथ हीं तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति भी नहीं दी। साथ ही ये बता दिया कि वो अब भी तेजस्वी के नाम पर सहमत नहीं हैं।
महागठबंधन में all is not well
लेकिन इन सब के बीच शरद यादव कुछ नहीं बोल रहे हैं वो पूरी तरह से चुप्पी साथ ली है। मांझी ने बताया की 18 के बाद हम लोग बोलेंगे और यही भाव शरद के भी हैं। इन सब से साफ जाहिर होता है कि महागबंधन में कुछ न कुछ जरूर पक रहा है। ऐसे में ये तो कहा ही जा सकता है कि all is not well।
पिछला लोक सभा चुनाव शरद यादव ने राजद से ही लड़ा है मगर फिलहाल वो राजद के नेताओं से मिलते नहीं दिखते। इधर राजद के प्रवक्ता ने तो शरद यादव को राष्ट्रीय नेता कह संभावनाओं पर पूर्णविराम लगाया और सभी को ताकीद किया की तेजस्वी यादव के अलावा कोई दूसरा चेहरा मुख्यमंत्री पद के लिए नहीं है।
महागठबंधन के भीतर इस तरह की उलझन से सबसे ज्यादा खुश जदयू है। उन्हें समझ आ रहा कि इस हंगामे का फायदा तो एनडीए को होगा और वो इस आग में और भी घी डालने का काम कर रहे हैं। इन सब से तो एक बात जरूर निकल कर आती है कि महागठबंधन का डगर आसान नहीं है।
हमारा बिहार टीम