पटना: मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका के फल ड्रैगन फ्रूट की खेती अब बिहार में भी की जा सकती है। किशनगंज स्थित ठाकुरगंज प्रखंड में नगराज नखत ने सफलता से इसकी खेती कर इसे साबित कर दिया है। देखने में यह फल जितना खूबसूरत है, उतना ही इसके औषधीय महत्व भी है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती अब बिहार में भी की जा सकती है
पिछले दिनों बीएयू में लगे एक प्रदर्शनी में यह फल सबके आकर्षण का केन्द्र रहा। नगराज नखत ने दो एकड़ में करीब 5000 पौधे लगाए हैं और इसका अच्छा उत्पादन करते हैं। इसके गुणों को देखते हुए इसे वहीं के लोग हाथों-हाथ खरीद भी लेते हैं। उन्होंने 2014 में 100 पौधों से इसकी खेती शुरू की। ये एक सौ पौधे उन्होंने सिंगापुर से मंगाए थे लेकिन उसके कटिंग तैयार कर आज पांच हजार पौधे तैयार कर उससे फल लेते हैं। उन्होंने बताया कि इसे लगाने के 12 से 18 महीने बाद ही फल आ जाता है। यह जून से नवंबर तक फल देता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. हेमंत कुमार सिंह ने बताया कि बिहार की मिट्टी और जलवायु इस फसल(ड्रैगन फ्रूट) के अनुरूप है। यहां बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जा सकती है। इसे व्यावसायिक फसल के रूप में बढ़ावा देकर किसान आमदनी बढ़ा सकते हैं।
1 हजार रुपए का आता है खर्च
यह कैक्टस जाति का है और उसे चढ़ाने के लिए लकड़ी या ईंट का खूंटा और ऊपर में फ्रेम लगाना होता है। एक फ्रेम पर चार पौधे चढ़ सकते हैं। एक फ्रेम में करीब एक हजार रुपए खर्च आता है। एक एकड़ में दो हजार पौधे लगाने में करीब पांच लाख से अधिक खर्च होता है। नगराज नर्सरी में इस पौधे को भी बेचते हैं।
निदेशक, कृषि प्रसार डॉ. आरके सोहाने ने बताया कि इसे फल या सलाद के रूप में खाया जाता है लेकिन इस फल के औषधीय महत्व काफी अधिक हैं। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजिंग, हीमोग्लोबीन, प्रोटीन, विटामिन, कैल्सियम पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह फल दिल की बीमारी आने से रोकता है। कोलेस्ट्रोल या मोटापा कम करने में कारगर है। हड्डियों के जोड़ों में दर्द को दूर करता है। त्वचा को जवां बनाए रखता है। इसमें पाए जाने वाले फाइबर पेट की बीमारियों को भी ठीक करता है।
हमारा बिहार टीम