पटना
हर इंसान अपने तरीके से भगवान की पूजा करता है। जिसकी जितनी श्रद्धा होती है वो उस तरह से उपासना करता है। लेकिन शास्त्रों और पुराणों में भगवान की पूजा करने के कुछ नियम कायदे बताएं गए हैं जिन्हें मानना बेहद ही जरूर हो जाता है। जैसे आरती कब की जानी चाहिए, भगवान की मूर्ति किस दिशा में होनी चाहिए, किस भगवान को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए, तुलसी के पत्तों को कब तोड़ना चाहिए इत्यादि। इससे घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है।
अगर हर रोज पूजा और ध्यान लगाने के बाद बी मन अंशात रहता है तो ये समझ लीजिए कि कहीं न कहीं किसी तरह की आपके द्वारा गलती हो रही है। क्योंकि अगर सही तरीके से पूजा नहीं किया जाता है तो घर में शांति स्थापित नहीं हो पाती है। इसलिए घर में बरकत और सुख-शांति के लिए पूरे विधान से ही पूजा करें। इसके लिए हम आपको बताते हैं कि पूजा के दौरन किन बातों का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है
– इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए न तोड़े। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं।
– शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को भूल कर भी तुलसी का भोग न लगाएं।
– तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।
– मां दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए। यह गणेशजी को विशेष रूप से अर्पित की जाती है।
– दूर्वा रविवार को नहीं तोडऩी चाहिए।
– रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए।
– सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
– सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु , ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।
– बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
– प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।
– केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए।
– किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए।
– मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं।
– हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाते हैं, वे रोगी होते हैं।
– घर के मंदिर में सुबह एवं शाम को दीपक अवश्य जलाएं। एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए।
हमारा बिहार टीम